सक्ती-

कृषि सहकारी समितियों से खाद-बीज का किसान करे उठाव – कलेक्टर

समितियों से खाद का उठाव किसान जितनी जल्दी करेंगे उतना ही खाद का स्टॉक आएगा

सक्ती, 27 मई 2024/ कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी अमृत विकास तोपनो ने कहा है कि खरीफ मौसम प्रारंभ हो चुका है। इसके साथ ही खेती का काम भी बढ़ने लगा है। जिले के किसान भी अपने खेतों में जुताई बुवाई का काम शुरु कर रहे हैं। अब-तक के मौसम पूर्वानुमान अनुसार इस साल सामान्य वर्षा हो सकती है। ऐसे में किसान अगले पखवाड़े से बोनी में तेजी लाने लगेंगे। खेत में बुवाई के लिए सबसे पहला काम किसान को खाद-बीज की व्यवस्था करना होता है। इस कार्य को सुगमता से करने के लिए कृषि विभाग द्वारा समय पूर्व खाद-बीज का भण्डारण सभी सहकारियों समितियों में करा दिया गया है। जहाँ से किसान अपनी आवश्यकतानुसार ऋण पर खाद और बीज प्राप्त कर सकते हैं। यदि हमारे किसान समय पूर्व अपने खाद व बीज की व्यवस्था कर लेते हैं, तो मानसून आते ही बुवाई कार्य प्रारम्भ कर सकेगें l समितियों से खाद का उठाव किसान जितनी जल्दी करेंगे उतना ही खाद का स्टॉक आएगा कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार सभी प्रकार के खाद जैसे यूरिया, डी.ए.पी. पोटाश, सिंगल सुपर फास्फेट्स, सभी कृषि साख समितियों में उपलब्ध है, लेकिन डी.ए.पी. एक ऐसी खाद है जो भारत में नही बनती है इसके लिए अन्य देशों से आयात पर निर्भर रहना पड़ता हैl चूंकि इस वर्ष डी.ए.पी. खाद का आयात सामान्य से कम हुआ है, ऐसी स्थिति में खाद की सप्लाई नही हो रही है लेकिन डी.ए.पी. यदि किसानों को नहीं भी मिलता है तो किसान इसके विकल्प के रुप में संचालनालय अनुसंधान सेवाएं इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय रायपुर द्वारा बताए गये (अनुशंसित) रासायनिक खाद फॉस्फेंट्स या 12:32:16 या 20:20:0:13 का उपयोग कर सकते हैं सभी खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है सुपर फॉस्फेट के उपयोग से फास्फोरस तत्व के साथ ही सल्फर और कैल्शियम पोषक तत्व भी प्राप्त होता है, जो फसल की बढ़वार में महत्वपूर्ण होता है। सक्ती जिले के सभी सहकारी समितियों में अब तक कुल 13439 मेट्रिक टन खाद का भण्डारण किया जा चुका है। इस प्रकार बीज निगम खोखसा (जिला जांजगीर-चाम्पा) से कुल 15420 क्विंटल बीज भी समितियों में भण्डारण किया जा चुका है। जिसमें स्वर्णा, महामाया, एम.टी.यू.1001, स्वर्णा सब-1. पी.के. वी.एच.एम.टी किस्म करत्रा बीज उपलब्ध है।धान के अलावा अन्य दलहनी तिलहनी फसलों जैसे अरहर, मूंग, उड़द, रागी, तिल, मूंगफली आदि बीजों की भी समय पूर्व व्यवस्था की जा रही है। किसान अपने आवश्यकतानुसार रासायनिक खाद बीज का अग्रिम उठाव कर लेंवे ताकि समय पर बोनी का कार्य प्रारम्भ कर सके।

*उर्वरक तथा जैव उर्वरकों से बनाया जा सकता है डी.ए.पी. का वैकल्पिक व्यवस्था*

मृदा में फास्फोरस तत्व की उपलब्धता हेतु उर्वरक तथा जैव उर्वरकों का प्रयोग करके खाद (उर्वरक) डी.ए.पी. का वैकल्पिक व्यवस्था किया जा सकता है विकल्प हेतु सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक (16 प्रतिशत फास्फोरस) 01 बोरी डी.ए.पी. से मिलने वाले तत्वों की पूर्ति हेतु लगभग आधा बोरी यूरिया तथा 03 बोरी सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग कर सकते हैं। मिश्रित उर्वरक (यथा इफको 12:32:16. ग्रोमोर 28:28:00 तथा अन्य फास्फोरस युक्त मिश्रित उर्वरक) और मृदा में उपस्थित स्फुर की उपलब्धता में वृद्धि करने हेतु स्फुर घुलनकारी जैव उर्वरकों (यथा पी.एस.बी.) का प्रयोग लाभकारी होगा।

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