झालरौंदा शासकीय भूमि नामांतरण मामले में एसडीएम न्यायालय में केस दर्ज
जंगल जमीन के बिक्री मामले में संलीप्त दोषियों के ऊपर गिरेगी जिला प्रशासन की कार्यवाही का गाज
सक्ति/भोथिया:- दरअसल पूरा मामला भोथिया तहसील कार्यालय के झालरौंदा पंचायत का है जहां शासकीय बड़े झाड़ के जंगल के जमीन को प्रशासन के आंखों में धूल झोंक कर जिम्मेदारों द्वारा करोड़ों की खनिज सम्पदा के जमीन को उद्योगपतियों के नाम कर बंदरबाट किया जा रहा है। झालरौंदा पंचायत का यह मामला सक्ति जिले का अभी तक का सबसे बड़ा शासकीय जमीन घोटाला है, जहां राजस्व विभाग के जिम्मेदारों के द्वारा दलालों से मिलीभगत कर ग्रामीणों को जीवन यापन के लिए दिए गए पट्टे के जमीन को उद्योगपतियों को पैसों के लालच में बिना किसी विशेष परिस्थिति के बिक्री किया जा चुका है। जबकि झालरोंदा पंचायत भी जिले के एक मात्र वनपरिक्षेत्र का हिस्सा होने के कारण यहां के शासकीय जंगल जमीनों की कीमत करोड़ों में है जिसे बड़ी आसानी से जिम्मेदारों के पूर्ण भूमिका से बिक्री नामांतरण कर करोड़ों का बंदरबाट किया जा रहा है।
आपको बता दें कि नवीन जिला सक्ती के जैजैपुर विकासंड अतर्गत आने वाले जिले के एकमात्र वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत झालरौन्दा , खम्हरिया व छितापड़रिया के जंगल जमीन के नीचे करोड़ों रुपयों का बेशकीमती खनिज सम्पदा छुपी हुई हैं, जिसके ऊपर अनेकों भू माफिया और उद्योगपतियों का नजर हमेशा से ही गड़ा हुआ है यहां की बेशकीमती खनिज सम्पदा को हनन कर निजी फायदे और उद्योग में उपयोग कर करोड़ों का वारा न्यारा करने की मंशा से ग्रामीणों को दिए जीवन यापन के पट्टे के शासकीय भूमि को भी नामांतरण करा लिया जा रहा है। वहीं ताज्जुब की बात यह है कि पुराने राजस्व रिकार्ड में शासकीय भूमि होने के बावजूद भी बिना कलेक्टर आदेश के सरकारी जमीन की बिक्री और नामांतरण हो जाना समझ से परे है जबकि बिना राजस्व जिम्मेदारों के साठ-गांठ से ऐसा हो पाना नामुनकिन है।झालरौंदा ग्राम पंचायत में स्थित उक्त भूमि जो कि लगभग 35 एकड़ तक फैला हुआ है और रिकार्ड में बड़े झाड़ का जंगल (शासकीय भूमि) दर्ज है जिसके अन्य 31 भाग पट्टे पर ग्रामीणों को दिया जाना प्रतीत व सिद्ध होता है। जिसे बिना कोई विशेष परिस्थिति व कलेक्टर आदेश के किसी भी कीमत पर खरीदी बिक्री व रजिस्ट्री नही किया जा सकता है। वही दलालों और राजस्व विभाग के मिलीभगत व मेहरबानी पर पैसे का लालच देकर जंगल के करोड़ों रुपए की शासकीय भूमि को बड़े आसानी से बंदरबाट करने का शिकायत जिला प्रशासन से किया गया है। जिसके उक्त शिकायत पर राजस्व पटवारी को एक सदस्यीय जांच टीम बना कर मामले की जांच की गई जिसमें कुछ ग्रामीणों को शासन द्वारा दिए शासकीय जमीन को खरीदी बिक्री जांच में पाया गया एवम शिकायतकर्ता के शिकायत आधार पर सही पाया गया। वही मामले को संज्ञान में लेते हुए जिला प्रशासन के उच्च जिम्मेदार अधिकारियों ने शासकीय भूमि के संबंध में हुए घोटाले से संलिप्त सभी दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार उचित कार्यवाही करने और दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज करने की बात कही।
वर्जन:-
मेरे न्यायालय में झालरौंदा शासकीय भूमि खरीदी बिक्री मामले में केस दर्ज हो गया है दोषियों पर एफ आई आर दर्ज कराई जा रही है ,जल्द दोषियों पर कड़ी कार्यवाही कर उचित सजा दिलाई जाएगी ।
अरुण कुमार सोम
एसडीएम सक्ति